Naukar Naukarani ki chudai kahani:मेरी पसंद की नौकरानी

Naukar Naukarani ki chudai kahani:

हाय दोस्तो, मैं मानव दिल्ली से। मै आप को एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरे दिल्ली वाले फ्लैट में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम पूजा था। उमर करीब २२ साल होगी, फिगर ३२-२८-३४। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था

आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से फ्लैट पर आया तो मैंने पूजा को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो फ्लैट पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि पूजा नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।

शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली राजू (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए”

मैंने कहा “ख़ुद आ कर ले लो”

वो अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक कर बाहर आयी, मेरे सामने एक लड़की बगैर कपड़ों के खड़ी थी यह देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।

मैंने कहा तुम बहुत सुंदर हो पूजा, वो शरमा गयी, मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं खड़ा हो गया, खड़े होते ही मेरा लंड और तन गया और मेरा ७” का लंड देख कर उसकी आखें फैल गयी। मैं उसके पास गया और उसके होठों को चूमने लगा। पहले तो उसने विरोध किया लेकिन फिर वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी। फिर मैंने लिप्स को छोड़ा और नीचे आ कर उसके बूब्स को चूसने लगा।

फिर मैंने उसे बाँहों में उठाया और बेड रूम में ले गया। बेड पर लिटा कर मैंने उसकी टांगें फैलाई और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत मक्खन की तरह चिकनी थी.मैंने उसकी चूत में अपनी दो उँगलियाँ घुसाई और अन्दर बाहर करने लगा। वो गरम हो रही थी।

वो बेताबी में अपने हाथों से अपने चुचिओं को मसलने लगी। उसके मुंह से आह ओह और करो सुन कर मेरा जोश बढ़ गया मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी और मैंने उसकी चूत को जी भर कर चूसा। अब हम ६९ पोसिशन में थे।

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फिर मैंने उससे कहा पूजा अब मैं तुम्हारी चूत का मजा लूँगा। वो तो पहले से तैयार थी उसने कहा हाँ अब और रहा नहीं जाता। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रखा और धक्का दिया। लंड थोड़ा अन्दर गया ही था कि वो चीख उठी- आह धीरे करो दर्द होता है। लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी कर अपना काम जारी रखा।

लंड पूरा घुसते ही वो छिपकली की तरह मेरे सीने से चिपक गयी। फिर मैं अपना लंड तेज़ी से उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा। मैंने उसे कस कस कर चोदा। वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। अब मैंने उसे कुतिया स्टाइल में बिठाया और कहा पूजा अब मैं तुम्हारी पीछे से लूँगा।

वो डर गई, बोली- नहीं राजू मेरी गांड मत लो, बहुत दर्द होगा, आपका लंड बहुत मोटा है। मैंने उसे समझाया कि मैं गांड नहीं चूत ही मारूंगा और तुम्हें भी मज़ा आयेगा।

वो तैयार हो गयी। मैं उसकी चूत में लंड घुसाने लगा। लंड थोड़ा अन्दर गया कि वो दर्द से छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी पर मैंने उसकी चूचियां कस के पकड़े रखी थी और धक्के लगाता रहा। वो भी थोड़ी देर के बाद जब उसकी चूत पूरी गीली हो गई और मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों पर रगड़ रहा था तो अपने चूतड़ पीछे ले जा कर पूरा का पूरा लंड लेने लगी और जब भी मैं रुकता या धीरे होता तो बोलती कि मानव प्लीज़ रुकना नहीं करते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है।

थोड़ी देर के बाद मैं नीचे कमर के बल लेट गया और मेरा लंड सीधा ९० डिग्री पर था, मैंने पूजा को अपने ऊपर बुलाया और बोला कि अब तुम्हारी बारी है चलो घुड़सवारी का मजा लो।

वो पहले तो शरमाई लेकिन मस्ती की वजह से फौरन मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को पकड़ा और उसपर बैठने की कोशिश करने लगी। जैसे जैसे लंड चूत में घुस रहा था उसके मुंह पर एक मस्ती भरी मुस्कान छा रही थी, खुले बाल उसके चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और उसकी आखों में ना जाने कितनी मधुशाला की मस्ती छा रही थी वो मैं बता नहीं सकता।

उसकी एक एक सीत्कार और अपने होंठों को हलके से काटना और फिर अपनी चूचियों के चुचुकों को सहलाना बड़ा ही कामुक दृश्य बन गया था, मुझे उसके धक्के बड़े भारी पड़ रहे थे क्योंकि इस मुद्रा में चूत की कसावट और ज्यादा हो गई थी और मस्ती में वो भी पूरे कस कस के मेरे लंड को पूरा का पूरा लिए जा रही थी।

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थोड़ी देर बाद ही वो मेरी छाती पर चूचियां रगड़ते हुए बिल्कुल सामने आ चुकी थी दोनों आपस में एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, तभी मैंने देखा कि उसने अपनी रफ्तार अचानक से तेज कर दी और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मुंह के रस को ले रही थी मुझसे नियंत्रण नहीं हो पा रहा था और लगता था कि मैं कभी भी वीर्य की बौछार कर दूँगा वो भी अपने चरमोत्कर्ष पर थी और अपने पूरे शरीर को झकजोरते हुए ज़बरदस्त धक्के लगा रही थी ..ओ ओ ओह्ह ह्ह्छ राजू ऊ ओ ओह ह्ह्ह मेरे सोना सोना …ओह ह्ह्ह्छ जानू मेरी जान न निकल जाए मुझे कस के पकड़ लो।

मैंने उसको कस के पकड़ लिया और अपनी टांगे उसकी टांगों में कैंची की तरह फंसा ली। वो ऐसी छुटी कि उसकी चूत का रस मेरी जांघों पर भी महसूस हो रहा था और करीब चार पाँच धीरे धीरे उसने धक्को के साथ अपना आपा खो दिया और पागलों की तरह मेरे कंधे पर काट लिया, उसने मुझे इतनी जोर से पकड़ा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा करंट लग गया हो करीब पाँच मिनुटे बाद वो उठी तो शरमाती हुई हंसने लगी और बड़े ही अचरज से मेरे लंड पर गिरा हुआ अपना रस देखने लगी, बोली- राजू ये पहली बार है जो मुझे पूरी तरह संतुष्टि मिली है और मैंने पानी छोड़ा है वरना अब तक जो भी मैं ३-४ बार चुदी हूँ उसमें मैंने दूसरो के झाडे हुए पानी को देखा था। आज तुमने मुझे अहसास दिलाया है कि एक औरत की ज़िन्दगी में सबसे बेशकीमती चीज़ है औरत का पानी झड़ना। मुझे नहीं पता ये अहसान मैं कैसे उतारूंगी पर जब तक जिंदा हूँ इस बेशकीमती आनंद से और संतुष्टि से भरे हुए पल कभी नहीं भूलूंगी…।

मेरा पेशाब आ रहा था तो मैंने हँसता हुआ बोला अभी आता हूँ मेरा भी काम बाकी है। मैं टॉयलेट की तरफ़ मुड़ा तो वो बोली तुम्हारी पीठ पर खून कैसा?

मैंने कहा- जब तुम सातवें आसमान की सैर कर रही थी तो इतना कस के जकड़ा कि तुम्हारे नाखून से मेरी पीठ पर खरोंच आ गई।

वोह बोली- मैं आज के बाद ये नाखून काट दूंगी और मुझे माफ़ करदो।

मैंने कहा- पागल ये तो मैं चाहता था, तुम्हें मेरी कसम जो नाखून काटे। जब कोई भी इंसान पहली बार झड़ता है तो उसको नहीं पता होता उससे क्या क्या हो रहा है। ये देखो कंधे पर कितनी ज़ोर का काटा है !

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वोह बोली- ये तो मुझे पता है चलो अब जल्दी से अपना काम भी कर लो।

मैंने फिर से उसको घोड़ी बनाया और उसके कूल्हों को पकड़कर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। पूजा से सहा नहीं जा रहा था और जोर जोर से अओउच। …उई ई ओ ऊ ओह हह कर रही थी कुछ धक्कों के साथ ही मेरे अन्दर से सुनामी की तरह तूफ़ान आया और पूजा की चूत को भरता हुआ बाहर तक आ गया।

हम दोनों उसी अवस्था में बेड पर जा गिरे और पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़े रहे। वो मुझ पर फ़िदा हो चुकी थी और उसकी आंखों में मेरे लिए एक प्रेमिका का प्यार साफ़ झलक रहा था मैंने उसके होंठों को चूमा और बोला कि मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूँ जो समय तुमने दिया वो मुझे भी याद रहेगा, मैंने भी तुम्हारे जितनी सेक्स मैं बिल्कुल पागल होकर चाहने वाली लड़की नहीं देखी। आइ लव यू पूजा। दिल से !

फिर मैंने पूछा पूजा मज़ा आया ?

वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आया। आप बहुत अच्छा चोदते हैं। अब मैं रोज़ ! ! आपसे ही चुदवाउंगी। फिर तो हम रोज़ ही चुदाई का मज़ा लेने लगे। ये सब तब तक चला जब तक उसकी शादी नहीं हो गई।

अगली कहानी में पूजा की बड़ी बहन के बारे में बताऊंगा तब तक इस कहानी का मजा उठायें।

आशा करता हूँ ये कहानी आपको कुछ हद तक पसंद आएगी। मैं आप सभी कहानी पढने वालों की राय जानना चाहता हूँ कि मेरी कहानी कैसी लगी। ताकि मैं और कहानी लिखूं या नहीं। ..तो मुझे इ-मेल करके बता दें। मुझे किसी भी तरह की राय अच्छी लगेगी बेशक वो मेरी कहानी को कमज़ोर कहें लेकिन एक बात जरूर बताना चाहूँगा कि केवल नाम बदला है कहानी एक दम सच्ची है।

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