Desi Kahaniya
आसाम की हरी भरी वादियों में यदि आप जायें तो आपका मन झूम उठेगा। मैं अपने पति के साथ आसाम के एक ओयल फ़ील्ड में हूं। 15 दिनों तक लगातार यहाँ फ़ील्ड में रहना होता है। केम्प से 3 किलोमीटर दूर ड्रिलिंग मशीन काम कर रही है। उसके लिये उन्हें लाने ले जाने के लिये वाहन की व्यवस्था है।
दिन भर बस दिल कुछ करने को चाहता है। अकेलेपन का अभी कोई साथी नहीं है।
इनके एक अच्छे दोस्त है, मैं उनका असली नाम नहीं बताऊँगी, हम उन्हें राहुल कहेंगे। 25 वर्ष का हट्टा कट्टा नौजवान है! अभी तक उसकी शादी नहीं हुई है। वो कभी कभी शाम को इनके साथ ड्रिन्क करने आ जाता है। मेरी तरफ़ बडी हसरत भरी निगाहों से देखता रहता है कि शायद कभी कोई इशारा मिल जाये।
मैं समझ कर भी उसे टाल जाती हूं। पर देखिये तो … मौसम की मार … दिल भटकने लग जाता है.
सब कुछ पास में है, फिर भी ये दिल मांगे मोर … मोर …और मोर …
आखिर दिल हार बैठी … मैं राहुल की ओर देख कर मुस्करा उठी.
उसकी तो जैसे बांछें खिल उठी।
हंसी तो फ़ंसी के आधार पर हमारी गाड़ी आगे बढ़ चली।
जब भी वो शाम को आता तो मैं उसका दरवाजे पर इन्तजार करती, पर वो समझ कर भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
मैं इन्तज़ार करती रही.
पर कब तक … वो तो आगे ही नहीं बढ रहा था।
मैंने उसे अन्त में एक कागज का टुकड़ा लिख के उसे थमा ही दिया।
वो पहले तो घबरा ही गया, फिर उसने मुझे देखा … मेरी आंखों में उसे बस लाल लाल वासना के डोरे दिखे।
‘सुनील कहाँ है?’
‘अन्दर है… आ जाओ… नहा रहे हैं…’ मैंने उसे आंख मार कर इशारा किया।
जैसे ही वो अन्दर आया, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया … मैंने लाज शरम छोड दी.
वो कांप उठा।
‘लड़की हो क्या … ऐसे क्यों कांप गये?’
‘जी… पहली बार किसी ने छुआ है ना!’
‘कल सुनील के जाने के बाद आओगे ना?’
उसने कहा कुछ भी नहीं … बस हाँ में सर हिला दिया।
आज उसकी रात बेचैनी में गुजरी. मेरी भी हालत उत्तेजना के मारे वैसी ही थी।
सुनील के ओफ़िस जाते ही राहुल आ गया.
कल की उसकी घबराहट देख कर नहीं लग रहा था कि वो आयेगा।
मैंने दरवाजा खोला और उसका हाथ पकड़ कर जल्दी से अन्दर खींच लिया, और फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।
‘राहुल… हाय… तुम आ गये!’ उसका मुख सूखने लगा था।
‘जी…जी… आप ने लिख कर बुलाया था ना…’ राहुल अटकता हुआ बोला।
‘नहीं तो… कब लिखा था…’
‘ये… है ना…’ वो झेंप गया… और कागज का टुकडा निकाल कर मुझे दिखाया।
मैंने कहा- अरे हाँ … ये तो मैंने ही लिखा है.’ उसे मैंने पढ़ा … और उसे फाड़ कर फ़ेंक दिया.
उसे देख कर लगा कि मुझे ही बेशरमी पर उतरना पडेगा।
‘राहुल कागज़ क्या है… मैंने तो खुद ही तुम्हें बुलाया था ना…’ मेरी आंखों में फिर वासना के डोरे खिंचने लगे… उसे सामने देख कर मेरी चूचियाँ कड़ी होने लगी।
‘ नेहा जी… आप बहुत अच्छी है… सुन्दर हैं!’
‘सच… फिर से कहो…’ मैं खुश हो उठी… उसे पास बुला कर सटा लिया और उसके गले में हाथ डाल दिया।
‘नेहा जी…मैं आपसे प्यार करता हूं…’
‘अच्छा… तो फिर चलो प्यार ही करो ना… या मैं ही सब कुछ करूं…’ मेरे स्वर में वासनामय विनती थी.
उसने हरी झन्डी पाते ही मुझे धीरे से लिपटा लिया।
मेरे नर्म होंठों पर उसके होंठ रगड़ खाने लगे। मेरा काम सफ़ल हो गया।
अब एक कुँवारा लण्ड मुझे चोदने के लिये तैयार था।
उसने मेरे निचले होंठ को चूमना और चूसना चालू कर दिया।
उसका लण्ड बुरी तरह से फ़ड़क रहा था, इतना कठोर हो गया कि लगता था कि पैन्ट फ़ाड देगा।
‘राहुल… देखो तुम्हारा नीचे से पैन्ट फ़ट जायेगा… लण्ड तो बाहर निकाल लो!’
‘क्… क्… क्या कहा… लण्ड… हाय’ वो मेरी भाषा से उत्तेजित हो गया…
‘हाँ… देखो तो कितना जोर मार रहा है… मेरी चूंची दबा दो राहुल…’
‘हाय… नेहा जी… आप कितना सेक्सी बोलती हैं… लण्ड चूची … नेहा जी चूत भी है ना…’
वो मेरी चूची बेदर्दी से दबाने लगा… चूची में दर्द हुआ…पर अनाड़ी का मजा कहीं ज्यादा होता है… मैंने उसका लण्ड पैन्ट से बाहर निकाल दिया… मैं उसे देख कर ही मस्त हो गयी… लम्बा और मोटा सुनील की तरह ही था। मैंने उसके लण्ड को देखा उसकी सुपारे की झिल्ली सही सलामत थी… मैंने जोश में उसे मसलना चालू कर दिया… कस कस कर उसे मुठ मारने लगी।
‘नेहा जी… आऽह हा… बस बस… हाय…’ और ये क्या… उसका वीर्य निकल पड़ा… वो जोर लगा कर वीर्य निकालने लग गया। और हाँफ़ने लगा। मेरी आंखो में वासना के डोरे और खिंच गये… वो मुझसे लिपट पड़ा।
‘नेहा जी… माफ़ करना… ये कैसे हो गया?’
‘पहले कभी लड़की को नहीं चोदा क्या?’
‘नहीं… ये पहली बार आपके साथ मजा आया है.’ उसने सर झुका लिया।
उसकी मासूमियत पर मुझे प्यार आ गया- कोई बात नहीं पहली बार ऐसा होता है… देखना दूसरी बार तुम मुझे पूरा चोद दोगे!
मैं उसे ताबड़तोड़ चूमने लग गयी।
इतना कुँवारा … कि किसी ने उसे छुआ तक नहीं।
मैं तो ये सोच कर ही आनन्दित हो रही थी कि फ़्रेश माल मिल गया है … कोई सेकन्ड हेण्ड नहीं।
मैंने उसका पैन्ट उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया।
वो अपना लण्ड छुपा कर सोफ़े पर बैठ गया। उसका सिर नीचे झुका हुआ था।
उसकी एक एक अदा पर मुझे प्यार आने लगा। कुंवारे लण्ड और अनछुए जिस्म का मजा पहले मैं लूंगी… ये सोच सोच कर ही मेरी चूत पानी छोड़े जा रही थी।
‘नेहा जी आप भी तो… कपड़े …’ मेरी बेशर्मी उसे भा रही थी.
मैं मुसकरा उठी … मैंने कमीज़ ऐसी स्टाईल से उतारी कि मेरे बोबे उछल कर बाहर आ गये… फिर जीन्स उतार कर एक तरफ़ रख दी.
मुझे इस तरह नंगी देख कर उसकी आंखें फ़टी की फ़टी रह गयी। उसके मुँह से एक आह निकल पड़ी।
मैं भी चुदने को उतावली हो रही थी।
मैंने उसके पास आकर उसका लण्ड पकड़ लिया… उसे फिर से अच्छी तरह से देखा … सुपारे की चमड़ी धीरे से ऊपर कर दी… सच में उसका मोटा लाल सुपारा और उसकी लगी हुयी स्किन उसकी कुंवारेपन को दर्शा रही थी.
मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में भर लिया… और उसका मर्द जाग उठा… टन से उछल कर खड़ा हो गया… जैसे मैं चूसती, उसका लण्ड मोटा होता जा रहा था… बेहद टाईट हो कर फ़ुंफ़कार उठा… मैंने बेशरमी से उसे न्योता दिया…
‘राहुल… आओ बिस्तर हमारा इन्तजार कर रहा है… चलें…’
‘जी…जी… क्या करेंगी… बिस्तर पर…’
‘अरे… क्या बुद्धू हो…’ मैं हंस पड़ी ‘चलो चुदाई करते है…’
‘जी… मैंने कभी किया नहीं है ऐसा… सुनो बाद में करेंगे…’
‘क्या… क्या कहा… हाय मर जाऊँ… मेरे राजा…’ मैं उसकी अदा पर बिछ गयी… उसके ऐसा कहने से मैं तो और उत्तेजित हो गयी… उसका हाथ पकड़ कर उसे मैंने बिस्तर पर लिटा दिया।
‘बस पड़े रहो ऐसे ही… तुम कुछ मत करो… ‘
उसके बिस्तर पर सीधे लेटते ही उसका लण्ड ऐसे खड़ा हो गया जैसे कोई लोहे की रोड हो। मैं राहुल के ऊपर आ गयी… और अपनी चूत को उसके मुख पर रख दिया… और हल्के से चूत दबा दी… मेरी गीली चूत ने उसके होंठ गीले कर दिये-
‘ये तो गीली है… चिकना पानी है.’ उसने अपना मुख एक तरफ़ कर दिया।
‘चाट जाओ राहुल… पीते जाओ और… जीभ घुसा दो…’ मैंने फिर से चूत को उसके मुख पर चिपका दिया।
मेरा हाथ पीछे लण्ड पर गया… हाय कितना बेचैन हो रहा है… उसने अब मेरी चूत अच्छे से चूसना चालू कर दिया।
मैं भी अब अपनी चूत को उसके होठों पर रगड़ने लगी थी.
अचानक राहुल ने मेरी चूतड़ों की फ़ान्कों को पकड़ लिया और सहलाने लगा.
उसकी उंगलियां चूतड़ों की दरार में घुसने लगी… अब उसकी एक उंगली मेरी गाण्ड में घुसने लगी थी.
मैं मदहोश होने लगी। मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी.
उसने पूरी उंगली अन्दर घुसा दी। मैं हौले हौले से अपनी चूत उसके होंठों पर रगड़ रही थी। उसका लण्ड झूम रहा था। उसकी उंगली मेरी गाण्ड को अन्दर घुमा घुमा कर चोद रही थी।
मुझ पर मस्ती चढ़ने लगी थी। उसकी जीभ मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रही थी। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया… एक दम कड़क… टन्नाया हुआ… अनछुआ लण्ड।
अब मैंने अपनी चूत धीरे से हटा ली…
‘राहुल… मेरी गाण्ड से उंगली निकाल लो प्लीज़ …’
उसने धीरे से अपनी उंगली बाहर निकाल ली…
मैंने अब उसकी कमर के दोनों ओर अपने पैर करके उसके लण्ड पर धीरे से बैठ गयी। उसका लण्ड भी चिकना पानी छोड़ रहा था… मेरी चूत तो वैसे ही चिकनी और गीली हो रही थी।
राहुल से रहा नहीं गया… उसने नीचे से अपनी चूतड़ उछाल कर लण्ड को मेरी चूत में घुसेड़ दिया… मैंने भी साथ ही ऊपर से जोर लगा कर अन्दर तक बैठा दिया… उसकी चीख निकल पड़ी… उसके लण्ड की चमड़ी फ़ट चुकी थी…
‘नेहा… जलन हो रही है…हटो ना… ‘
‘कुछ नहीं है… राहुल … सब ठीक हो जायेगा … हाय रे मेरे राजा…’ उसका कुँवारापन टूट चुका था… उसका दर्द मुझे असीम खुशी दे रहा था… उसके कुंवारेपन की कराह मुझे मदहोश कर रही थी।
मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी… और ऊपर से धक्के चालू रखे… वो कराहता रहा…मैं मजे लेती रही…मैंने अब चूतड़ों को उसके लण्ड पर तेजी से मारना चालू कर दिया… अब उसकी कराह खुशी की सिसकारी में बदलने लगी… उसने मेरे बोबे भींच लिये… और अब नीचे से उसके चूतड़ भी उछलने लगे… मैं सातवें आसमान पर पहुंच गयी।
‘मेरे राहुल… मजा आ रहा है…क्या मस्त लण्ड है… चोद दे रे…’
‘नेहा…मेरी रानी… हाय पहली बार किसी ने…मुझे इतना प्यार दिया है…’
‘मेरे राजा…’
‘नेहा…जोर से धक्के मारो ना…हाय… मुझे ये क्या हो रहा है…’
मैंने भी अब अपनी चूत को भींच भींच कर और टाईट करके चोदने लगी… उसकी चरमसीमा आने वाली थी… मैंने अपनी चूत को उसके लण्ड पर जोर से दबा डाला… मेरी चूत में एक बार तो लण्ड जड़ तक पहुंच गया.
मैंने लण्ड को दबाये ही रखा…और मैंने एक अंगड़ाई ली और राहुल पर बिछ गयी… मैं झड़ रही थी… मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी… और झड़ती जा रही थी… राहुल का लण्ड भी चूत से भींचा हुआ था… कब तक बचता… उसने भी नीचे से जोर लगाया… और एकबारगी उसका पूरा शरीर कांप गया…
और फिर उसके लण्ड ने चूत की गहराई में अपना वीर्य छोड़ना चालू कर दिया… उसके लण्ड का फ़ूलना पिचकना… और रस छोड़ना बड़ा ही आनन्द दे रहा था.
मैं उस पर थोड़ी देर लेटी रही.
जब हम दोनों पूरे ही झड़ गये तो मैं उस पर से उठी और बिस्तर से नीचे आ गयी.
उसका वीर्य थोड़े से खून के साथ मेरे तौलिये पर गिरने लगा।
लाल लाल खून भरा वीर्य मुझे बहुत सन्तोष दे रहा था।
मैंने कपड़े पहन लिये और राहुल को निहारती रही।
आखिर वो भी उठा और कपड़े पहन कर तैयार हो गया.
‘नेहा जी… आज आपने मुझे सही मर्द का दर्जा दे दिया… बहुत मजा आया.’
‘आओ एक बार प्यार कर लो… फिर शाम को तो मिलोगे ही!’
‘नेहा जी… कल दिन को…’
‘अभी अपने लण्ड को ठीक तो कर लो… फिर मजे तो करेंगे ही!’
राहुल ने हाथ हिला कर विदा ली.
मैं आज की चुदाई से खुश थी.