गाँव की गलियों में धूल उड़ती थी, और सूरज ढलने को था। राधा, उम्र बमुश्किल बीस साल, अपने घर के आँगन में खड़ी थी। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे कोई गहरा राज़ छुपा हो। उसका भाई, रमेश, जो उससे पाँच साल बड़ा था, खेत से लौटा था। उसकी कमीज पसीने से भीगी थी, और चेहरा थकान से भरा हुआ, पर उसकी आँखों में भी वही चमक थी जो राधा की थी। दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता था, जो गाँव की नजरों से छुपा था, पर उनकी आत्माओं में गहरे तक बस्ता था।
राधा ने रमेश को देखते हुए अपनी चुनरी ठीक की। “भैया, आज खेत में क्या हुआ?” उसने पूछा, पर उसका लहजा कुछ और कह रहा था। रमेश ने एक गहरी साँस ली और पास आकर बैठ गया। “कुछ नहीं, राधा। बस धूप और पसीना।” उसने हँसते हुए कहा, पर उसकी नजर राधा के चेहरे पर टिक गई। राधा का गुलाबी दुपट्टा हल्का सा सरक गया, और उसकी गहरी क्लीवेज दिखने लगी। रमेश ने नजर हटाने की कोशिश की, पर उसका मन डगमगा रहा था।
रात हो चुकी थी। गाँव में सन्नाटा था, सिवाय झींगुरों की आवाज के। राधा अपने कमरे में थी, और रमेश अपने। पर नींद किसी को नहीं आ रही थी। राधा ने अपनी साड़ी उतारी और एक पतली सी साटन की नाइटी पहन ली, जो उसके बदन से चिपक रही थी। उसने जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ दिया और बिस्तर पर लेट गई। उसकी साँसें तेज थीं, और मन में एक तूफान सा उठ रहा था।
रमेश चुपके से राधा के कमरे की ओर बढ़ा। उसने देखा कि दरवाजा खुला था। अंदर का नजारा देखकर उसका दिल धड़कने लगा। राधा बिस्तर पर थी, उसकी नाइटी उसके कूल्हों तक सरक चुकी थी। “राधा…” रमेश ने धीमे से पुकारा। राधा ने आँखें खोलीं और एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, “भैया, नींद नहीं आ रही ना?”
रमेश पास आया और बिस्तर के किनारे बैठ गया। “तू भी तो जाग रही है,” उसने कहा, उसकी आवाज में एक गहरी चाह थी। राधा ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और अपनी कमर पर रख दिया। “भैया, मुझे कुछ चाहिए…” उसने फुसफुसाते हुए कहा। रमेश का बदन गर्म होने लगा। “क्या चाहिए, राधा?” उसने पूछा, पर उसे जवाब पहले से पता था।
राधा ने अपनी नाइटी ऊपर की और अपनी टाँगें फैला दीं। “अह्ह्ह भैया… मुझे माँ बना दो,” उसने कहा, उसकी आँखों में एक जलन थी। रमेश का मन डोल गया। उसने राधा को अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। दोनों के बीच का चुंबन इतना तीव्र था कि कमरे में गर्मी बढ़ने लगी। राधा ने रमेश की कमीज उतार दी, और उसका चौड़ा सीना देखकर उसकी साँसें और तेज हो गईं।
रमेश ने राधा की नाइटी पूरी तरह उतार दी। उसका नंगा बदन चाँदनी में चमक रहा था। उसने राधा की छाती को अपने हाथों से सहलाया, और उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँजने लगीं। “भैया… और जोर से,” राधा ने कहा, उसकी आवाज में एक मादकता थी। रमेश ने उसकी बात मानी और उसकी जाँघों को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ा। उसने राधा की योनि को अपने मुँह से छुआ, और राधा के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकली। “अह्ह्ह… भैया!”
राधा का बदन अब पूरी तरह से रमेश के हवाले था। उसने रमेश के लंड को अपने हाथों में लिया और उसे सहलाने लगी। रमेश की साँसें तेज हो गईं। “राधा, तू तो आग है,” उसने कहा, और फिर उसने राधा को बिस्तर पर लिटा दिया। उसने धीरे से अपने लंड को राधा की योनि में प्रवेश कराया। राधा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक गहरी सिसकारी भरी। “भैया… और गहरा,” उसने कहा।
रमेश ने अपनी गति बढ़ा दी। दोनों के बदन एक-दूसरे से टकरा रहे थे, और कमरे में उनकी साँसों की आवाज गूँज रही थी। राधा की चुदाई इतनी तीव्र थी कि बिस्तर हिलने लगा। “भैया, मुझे माँ बनाओ… मुझे तुम्हारा बच्चा चाहिए,” राधा ने सिसकते हुए कहा। रमेश ने और जोर लगाया, और दोनों एक साथ चरम सुख तक पहुँच गए। राधा की चीख और रमेश की सिसकारी एक साथ कमरे में गूँजी।
सुबह होने तक दोनों एक-दूसरे की बाहों में थे। राधा ने रमेश के सीने पर सिर रखा और कहा, “भैया, तुमने मुझे पूरा कर दिया।” रमेश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “राधा, ये हमारा राज़ रहेगा।” दोनों के बीच का रिश्ता अब सिर्फ भाई-बहन का नहीं था; यह एक गहरी, निषिद्ध चाहत का बंधन था।
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गाँव की सुबह वैसी ही थी, जैसे हर रोज़। पर राधा और रमेश के दिल में एक नया तूफान था। राधा ने अपने पेट पर हाथ फेरा और मुस्कुराई। उसे यकीन था कि उसकी माँ बनने की ख्वाहिश जल्द पूरी होगी। रमेश ने उसे देखा और एक गहरी साँस ली। वह जानता था कि यह रास्ता आसान नहीं होगा, पर राधा की आँखों में जो प्यार और चाहत थी, उसने उसे हर डर से ऊपर उठा दिया।
कहानी यहीं खत्म नहीं होती। राधा और रमेश की जिंदगी में अभी कई मोड़ आने बाकी थे। पर उस रात, उस कमरे में, दोनों ने एक-दूसरे को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। उनकी साँसें, उनकी चाहत, और उनकी चुदाई ने एक ऐसी कहानी लिखी जो गाँव की गलियों से बहुत दूर, उनके दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी।